ISRO Scientist Nambi Narayanan | इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुडी सारी जानकारी इस पोस्ट में हम आपको देने वाले है?
दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं भारत के मशहूर वैज्ञानिक ISRO Scientist Nambi Narayanan नंबी नारायण जी के बारे में, आज आज वह होते तो इसरो नासा से भी आगे यानी नासा अमेरिका की जो स्पेस एजेंसी है। उसे आगे आज हमारा इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन होता।
क्या यह बात सच है इस बात के बारे में बात करेंगे विस्तार से और कौन है नंबी नारायणन की क्या कहानी है और कहते हैं। कि कभी भी कोई भी देश महान तब होता है जब उस देश को महान बनाने वाले लोगों को याद किया जाए और इस बात को हम प्रमुखता से रखते हैं कि कौन वह लोग हैं।
जिनकी महानता की बात हम आज करने वाले हैं हम लोग ऐसे देश में रह रहे हैं जहां पर सड़को के नाम उन लोगों के नाम पर हैं। जिन्होंने इस देश को लूटा है। और ऐसे महान लोग जिनकी देशभक्ति इतनी बड़ी थी देश के प्रति कि वह देश के सामने तक नहीं है। तो यह हमारी ड्यूटी बनती थी कि उस सच को आपके सामने लेकर के आए और हम
सफेद बाल लंबी सफेद दाढ़ी और आंखों पर चश्मे वाला एक शख्स अचानक चर्चा में आ गया यह शख्स कोई और नहीं बल्कि इसरो के पहले रह चुके वैज्ञानिक नंबी नारायणन है। अगर आपने R माधवन की फिल्म राकेट्री देखी होगी तो आपको लंबी नारायणन याद आ रहे होंगे यह वही फिल्म है।
Nambi Narayanan पर बनी फिल्म?
जिससे हाल सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म रॉकेट्री के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फ़िल्म पुरस्कार मिला। बेस्ट फीचर फिल्म का नैशनल अवॉर्ड्स मिला नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित एक फिल्म “रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट” 2022 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में नंबी नारायणन का किरदार आर. माधवन ने निभाया था। फिल्म को आलोचकों और दर्शकों से काफी सराहना मिली थी।
नंबी नारायणन का जीवन परिचय | ISRO Scientist Nambi Narayanan Biography in hindi?
नंबी नारायणन का जन्म 12 दिसंबर, 1941 को केरल के तिरुवनंतपुरम में हुआ था। उन्होंने तिरुवनंतपुरम के तयागराजर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय से क्रायोजेनिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
नंबी नारायणन को मिला पद्म भूषण पुरस्कार (Award)?
नंबी नारायणन एक भारतीय वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। उन्होंने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के लिए क्रायोजेनिक इंजन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें पद्म भूषण (2019) और पद्म विभूषण (2022) शामिल हैं।
1970 में, नंबी नारायणन इसरो में शामिल हुए। उन्होंने इसरो के क्रायोजेनिक इंजन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1980 में, उन्होंने भारत के पहले क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन, विक्रम का विकास किया। यह इंजन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
भारत में लिक्विड फ्यूल रॉकेट ISRO Scientist Nambi Narayanan टेक्नोलॉजी लाने वालेवैज्ञानिक नंबी नारायण थे, देश में पहले रोके टेक्नोलॉजी सॉलिड प्रोपेलेंट पर निर्भर थी लेकिन 1970 में लंबी लिक्विड फ्यूल रॉकेट टेक्नोलॉजी भारत में लेकर आए और इसके साथ ही देश में ईंधन रॉकेट प्रौद्योगिकी की शुरुआत हुई जिसका उपयोग ISRO ने कई रोकटो के लिए किया था।
जासूसी आरोप?
जिनमें ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान और जियोसिंक्रोनस सैटलाइट लॉन्च भी शामिल है। लंबी नारायण वैज्ञानिक के दो 1994 में भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम से जुड़ी गोपनीय जानकारी को लीक करने का झूठा आरोप उन पर लगाया गया था आरोप था कि उन्होंने आंसर इस प्रोग्राम की जानकारी के दो नागरिकों को साझा की है जिन्होंने इस रॉकेट रॉकेट इंजनों की इस जानकारी को पाकिस्तान को भेज दी थी
नंबी नारायणन को जासूसी के झूठे आरोप में फंसाए जाने के बाद, उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें अपनी नौकरी से निकाल दिया गया और उन्हें कई साल तक आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी और उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपना काम जारी रखा।
काम करने का अनुभव?
लंबी नारायण के पास विक्रम साराभाई सतीश धवन और एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों के साथ काम करने का अनुभव भी था। इसरो के वैज्ञानिक रहे नंबी नारायणन 26 साल पहले एक छोटे मामले में फंसाए गए थे 1994 में जासूसी के छोटे मामले में नंबी नारायणन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित कुछ बेहद गोपनीय दस्तावेज अन्य देशों को ट्रांसफर किए
इस मामले में नारायण को 2 महीने जेल में रहना पड़ा था जांच के बाद सीबीआई ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं सीबीआई से पहले इस मामले की जांच केरल पुलिस कर रही थी 26 साल पहले हुई इन घटनाओं का जिक्र किया है कि कैसे उनके मामले को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया
नारायणन ने दर्दनाक और द्वेष पूर्ण पूछताछ को याद किया जिसका उन्होंने जांच के दौरान सामना किया था नारायणन बताते हैं कि जांच के दौरान जांचकर्ताओं ने उनसे कहा कि वह कोई मुस्लिम का नाम ले ले जिस पर उन्हें लगा कि एजेंसियों ने अपनी ही कोई कहानी बना ली है
और उसके अनुसार उन्हें चलने को कह रहे हैं उनके मुताबिक जांचकर्ताओं ने कहा कि अगर वह उनकी कहानी के मुताबिक नहीं चलेंगे तो उन्हें पंजाब के पठानकोट पुलिस को हैंड ओवर कर दिया जाएगा इतना ही नहीं उनका एनकाउंटर करने तक की धमकी भी दी गई
उन्होंने लिखा कि पूछताछ के दौरान उन्होंने पानी मांगा जिस पर उन्हें जवाब मिला कि जब तक उस सारे आरोप स्वीकार नहीं कर लेते पानी की एक बूंद तक नहीं मिलेगी एक अधिकारी ने उन पर चिल्लाते हुए कहा तुम एक थर्ड ग्रेड अपराधी तुम्हें पानी चाहिए नारायण ने लिखा कि
उनके पानी मांगने परीक्षक ने उनसे 1 फीट की दूरी पर गिलास में पानी लिए खड़ा था ताकि मैं उस ओरछा तक मैं अपनी कुर्सी से उठा मैंने कहा मुझे पानी नहीं चाहिए मैं लंबे समय तक बैठना नहीं चाहता मैं यहां खड़ा रहूंगा बिना खाना पानी के जब तक कि आप नहीं मान लेते कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया
बता दे कि नंबी नारायणन के इस मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उनकी गिरफ्तारी गलत है साथ ही उन्हें ₹5000000 की अंतरिम राहत के तौर पर देने को कहा था राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने उन्हें अलग से ₹1000000 का मुआवजा ऑफिस जाने की सिफारिश की थी इसके बाद भी नहीं तिरुअनंतपुरम कोर्ट में केस दायर किया था बीते महीने के लिए सरकार ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को एक करोड़ 3000000 रूपए का अतिरिक्त मुवावजा सौपा था
बी नारायणन एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने काम के लिए कई पुरस्कार जीते हैं और उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।
ISRO Scientist Nambi Narayanan, नंबी नारायणन से सम्बंधित प्रश्न और उत्तर FAQs?
नंबी नारायणन एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं जिन्हें रॉकेट प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके काम के लिए जाना जाता है। उन्होंने इसरो में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, और उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के पिताओं में से एक माना जाता है।
प्रश्न: नंबी नारायणन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: नंबी नारायणन का जन्म 12 दिसंबर, 1941 को केरल के त्रिवेंद्रम में हुआ था।
प्रश्न: नंबी नारायणन ने अपनी शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
उत्तर: नंबी नारायणन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा त्रिवेंद्रम के सेंट जोसेफ हाई स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने त्रिवेंद्रम विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से रॉकेट प्रौद्योगिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
प्रश्न: नंबी नारायणन ने इसरो में कब और कहाँ काम किया?
उत्तर: नंबी नारायणन ने 1969 में इसरो में एक वैज्ञानिक के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने इसरो के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में काम किया, जिनमें प्रक्षेपण यान, रॉकेट इंजन और सेटेलाइट शामिल हैं। 1984 से 1994 तक, वह इसरो के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र, त्रिवेंद्रम के निदेशक थे।
प्रश्न: नंबी नारायणन पर जासूसी का आरोप क्यों लगाया गया था?
उत्तर: 1994 में, नंबी नारायणन पर एक जासूसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अमेरिका के लिए भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के रहस्यों को बेचा था। नारायणन ने इन आरोपों से इनकार किया, लेकिन उन्हें 1999 में दोषी ठहराया गया और उन्हें 12 साल के कारावास की सजा सुनाई गई।
प्रश्न: नंबी नारायणन को कब रिहा किया गया था?
उत्तर: नंबी नारायणन को 2012 में रिहा किया गया था। उन्होंने अपनी रिहाई के बाद कई पुस्तकों और लेखों में अपने अनुभवों के बारे में लिखा है।
प्रश्न: नंबी नारायणन को भारत सरकार ने क्या पुरस्कार दिए हैं?
उत्तर: भारत सरकार ने नंबी नारायणन को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया है, जिनमें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और भारत रत्न शामिल हैं।
प्रश्न: नंबी नारायणन का वर्तमान निवास कहाँ है?
उत्तर: नंबी नारायणन वर्तमान में त्रिवेंद्रम में रहते हैं।
प्रश्न: नंबी नारायणन पर आधारित एक फिल्म कब रिलीज़ हुई थी?
उत्तर: नंबी नारायणन पर आधारित एक फिल्म, “रॉकेट्री: द नांबी इफ़ेक्ट” 2023 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में माधवन ने नंबी नारायणन का किरदार निभाया था।
नंबी नारायणन एक प्रेरक व्यक्तित्व हैं जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
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