Chandrayaan-3 Laser Doppler Velocimetry: चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगी है खास डिवाइस, ISRO ने पिछली गलती से ली सीख?
चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगी लेजर डॉपलर वेलोसिमेट्री (LDV) डिवाइस एक खास डिवाइस है, जो चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की दुर्घटना से सबक सीखकर लगाई गई है। चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर 7 सितंबर, 2019 को चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
इस दुर्घटना के कारण भारत का यह पहला चंद्रयान लैंडर सफल नहीं हो सका था। दुर्घटना के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने दुर्घटना की जांच की और पाया कि थ्रस्टर्स के गलत संकेत के कारण लैंडर का नियंत्रण खो गया था।
इस दुर्घटना से सबक सीखते हुए, ISRO ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में LDV डिवाइस को शामिल किया है। यह डिवाइस लैंडर की गति को मापने के लिए लेजर का उपयोग करती है।
इससे लैंडर को सुरक्षित रूप से चंद्रमा की सतह पर उतारने में मदद मिलेगी। LDV डिवाइस चंद्रमा की सतह से 10 मीटर की दूरी पर लेजर भेजती है। लेजर की किरण चंद्रमा की सतह से टकराकर वापस LDV डिवाइस में आती है। LDV डिवाइस लेजर की किरण के यात्रा समय को मापकर लैंडर की गति की गणना करती है।
LDV डिवाइस के अलावा, चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में अन्य सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं। इन उपायों में लैंडर के थ्रस्टर्स को नियंत्रित करने के लिए एक नई प्रणाली शामिल है। यह प्रणाली लैंडर को सुरक्षित रूप से चंद्रमा की सतह पर उतारने में मदद करेगी। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इस बार, उम्मीद है कि LDV डिवाइस और अन्य सुरक्षा उपायों के कारण विक्रम लैंडर का मिशन सफल होगा।
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भारत का चंद्रयान लगातार अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छू रहा है चंद्रयान लगातार चांद की तरफ बढ़ता जा रहा है। आपको बता दें कि Chandrayaan-3 धरती के चारों तरफ अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है. इसी ऑर्बिट में चक्कर लगाते लगाते चंद्रयान धीरे-धीरे चांद की तरफ बढ़ रहा है। अब पृथ्वी के ही चारों तरफ घूम रहे चंद्रयान की तस्वीरों को टेलिस्कोप के जरिए दिखाया गया है। इटली के मेन पियानो में मौजूद वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट ने दावा किया है। कि उन्होंने
Chandrayaan-3 Mission:
🌖 as captured by the
Lander Position Detection Camera (LPDC)
on August 15, 2023#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/nGgayU1QUS— ISRO (@isro) August 18, 2023
Chandrayaan-3 की कुछ तस्वीरें ली है इन तस्वीरों के साथ एक टाइम लैप्स वीडियो भी बनाया गया है इन तस्वीरों में दिखाया गया है।
Chandrayaan-3 Mission:
Here are the images of
Lunar far side area
captured by the
Lander Hazard Detection and Avoidance Camera (LHDAC).This camera that assists in locating a safe landing area — without boulders or deep trenches — during the descent is developed by ISRO… pic.twitter.com/rwWhrNFhHB
— ISRO (@isro) August 21, 2023
बहरहाल आप जानते ही हैं कि इसरो का यह तीसरा मून मिशन है। भारत दूसरी बार चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास कर रहा है भारत का चंद्रयान चांद पर ऐसी जगह उतरेगा जहां पर किसी भी देश ने लैंडिंग की कोशिश नहीं की है। और ना ही किसी देश ने चांद के इस हिस्से पर उतरने की हिम्मत दिखाई है।
वैसे आपको बता दें कि दुनिया में 11 देश है जिन्होंने अपने मून मिशन भेजे हैं अगर भारत का यह मिशन सफल होता है तो वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव यानी साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा इसरो दुनिया की पहली स्पेस एजेंसी होगी जो चंद्रमा के साउथ पोल पर अपने चंद्रयान को उतारेगी
चंद्रयान-3 मिशन: मिशन तय समय पर है. मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) ऊर्जा और उत्साह से गुलजार है! MOX/ISTRAC पर लैंडिंग परिचालन का सीधा प्रसारण 17:20 बजे शुरू होगा। 23 अगस्त, 2023 को IST। यहां 19 अगस्त, 2023 को लगभग 70 किमी की ऊंचाई से लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा ली गई चंद्रमा की तस्वीरें हैं। एलपीडीसी छवियां लैंडर मॉड्यूल को ऑनबोर्ड चंद्रमा संदर्भ मानचित्र के विरुद्ध मिलान करके उसकी स्थिति (अक्षांश और देशांतर) निर्धारित करने में सहायता करती हैं।
Chandrayaan-3 Mission:
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.The Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
— ISRO (@isro) August 22, 2023
लैंडर और रोवर का काम , चंद्रयान-3 मिशन में?
चंद्रयान-3 मिशन में, लैंडर और रोवर दो महत्वपूर्ण उपकरण हैं जो चंद्रमा पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आवश्यक हैं।
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लैंडर का प्राथमिक कार्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतरना है। इसमें एक रॉकेट इंजन होता है जो इसे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को दूर करने में मदद करता है, और पैराशूट और रॉकेट जो इसे धीमा करने में मदद करते हैं। लैंडर में रोवर को बाहर निकालने के लिए एक तंत्र भी होता है।
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रोवर का प्राथमिक कार्य चंद्रमा की सतह पर यात्रा करना और वैज्ञानिक उपकरणों का संचालन करना है। इसमें छह पहिए होते हैं जो इसे चलने में मदद करते हैं, और एक सौर पैनल होता है जो इसे बिजली प्रदान करता है। रोवर में कई उपकरण होते हैं जो चंद्रमा के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जैसे कि मिट्टी और चट्टानों का नमूना लेना, भूकंप और गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को मापना, और चंद्रमा के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करना।
चंद्रयान-3 मिशन के दौरान, लैंडर चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतरता है और रोवर को बाहर निकालता है। रोवर फिर चंद्रमा की सतह पर यात्रा करना शुरू करता है और वैज्ञानिक उपकरणों का संचालन करता है। रोवर चंद्रमा की सतह पर लगभग 14 दिनों तक काम करेगा।
चंद्रयान-3 मिशन के लक्ष्यों में शामिल हैं:
- चंद्रमा की सतह का अध्ययन
- चंद्रमा के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन
- चंद्रमा के भूकंपीय गतिविधि का अध्ययन
- चंद्रमा पर पानी की खोज
लैंडर और रोवर चंद्रयान-3 मिशन के लिए आवश्यक उपकरण हैं जो इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगे।
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